Friday, December 15, 2017

Keh diya......

तुमने तो कह दिया कि मोहब्बत नहीं मिली; मुझको तो ये भी कहने की मोहलत नहीं मिली;

नींदों के देस जाते, कोई ख्वाब देखते;
लेकिन दिया जलाने से फुरसत नहीं मिली;

तुझको तो खैर शहर के लोगों का खौफ था;
और मुझको अपने घर से इजाज़त नहीं मिली;

फिर इख्तिलाफ-ए-राय की सूरत निकल पडी; अपनी यहाँ किसी से भी आदत नहीं मिली;

बे-जार यूं हुए कि तेरे अहद में हमें;
सब कुछ मिला, सुकून की दौलत नहीं मिली !!

कभी तो तेरे.......

दर्द कब किसका सगा हुआ इसने भी
उड़ जाना है एक दिन बनकर धुँवा, भूल जा जो हुआ सो हुआ , कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,

कब तक असर करेगी ज़माने की बद्दुआ
हर कोई यहाँ से गया जो था यहाँ आया,
हमेशा आग बुझने पर निकालता है धुँवा.
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,

क्या हुआ गर तेरा कोई नहीं हुआ
जीतता वही है जो अकेला है जीया,
ख़ुशी पायी उसने जिसने गम को है पीया.
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,

गीता ने कहा जो हुआ अच्छा हुआ,
फिर तू क्यूँ है सोच में डूबा हुआ ,
जीवन वरदान है भगवान का दिया हुआ.
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,

कदम ना हटा पीछे जो आगे बढ़ा दिया, ना डर तू दुनिया से ना कदम को तू डगमगा तू ही है रौशनी तू ही है दीया, कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ !!
-
" प्रवेश "

कुछ तबियत........

कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी
चैन से जीने की सूरत ना हुई
जिसको चाहा उसे अपना ना सके
जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई

जिससे जब तक मिले दिल ही से मिले
दिल जो बदला तो फसाना बदला
ऱसम-ए-दुनिया की निभाने के लिए
हमसे रिश्तों की तिज़ारत ना हुई

दूर से था वो कई चेहरों में
पास से कोई भी वैसा ना लगा
बेवफ़ाई भी उसी का था चलन
फिर किसीसे ही श़िकायत ना हुई

व़क्त रूठा रहा बच्चे की तरह
राह में कोई खिलौना ना मिला
दोस्ती भी तो निभाई ना गई
दुश्मनी में भी अदावत ना हुई

- निदा फाड़ना.

Sunday, December 10, 2017

वजह की तलाश न कर.........

अपने गम की नुमाइश न कर,
अपने नसीब की आजमाइश न कर,
जो तेरे है वो तेरे पास खुद आयेंगे,
हररोज उन्हें पाने की ख्वाहिश न कर,
छू ले तू आसमान जमीं की तलाश न कर,
जी ले.... तू ज़िन्दगी... ख़ुशी की तलाश न कर, तक़दीर बदल जायेगी अपने आप ही, ए दोस्त, मुस्कुराना सीख ले, वजह की तू तलाश न कर !!

अंतर्मन

*【अंतर्मन】*
                                                                                     घनघोर अंधेरा छाये जब
कोई राह नज़र ना आये जब
कोई तुमको फिर बहकाये जब
इस बात पे थोड़ी देर तलक
तुम आँखें अपनी बंद करना
और अंतरमन की सुन लेना
मुमकिन है हम-तुम झूठ कहें
पर अंतरमन सच बोलेगा..........

जब लम्हा-लम्हा 'आरी' हो
और ग़म खुशियों पे भारी हो
दिल मुश्किल में जब पड़ जाये
कोई तीर सोच की 'अड़' जाये
तुम आँखें अपनी बंद करना
और अंतरमन की सुन लेना
मुमकिन है हम-तुम झूठ कहें
पर अंतरमन सच बोलेगा........

जब सच-झूठ में फर्क ना हो
जब गलत-सही में घिर जाओ
तुम नज़र में अपनी गिर जाओ
इस बात पे थोड़ी देर तलक
तुम आँखें अपनी बंद करना
और अंतरमन की सुन लेना
मुमकिन है हम-तुम झूठ कहें
पर अंतरमन सच बोलेगा........

ये जीवन एक छाया है
दुख, दर्द, मुसीबत माया है
दुनिया की भीड़ में खोने लगो
तुम खुद से दूर होने लगो
तुम आँखें अपनी बंद करना
और अंतरमन की सुन लेना
मुमकिन है हम तुम झूठ कहें
पर अंतरमन सच बोलेगा........

~~~  अनाम ~~~